:— बल्क रेट पर डीजल खरीदने की जगह रिटेल पम्पों से हो रही खरीद
:— एनसीएल मध्य प्रदेश क्षेत्र के आेबी मे जारी है बदस्तुर
लेखक - आरपी सिंह /गोविन्द मिश्रा
तेल कम्पनियों व जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण एनसीएल के आऊट सोर्सिंग कम्पनियों मे भारत सरकार द्वारा दी जा रही सब्सीडी युक्त डीजल में करोड़ों रूपये का राजस्व का नुकसान पहुचाया जा रहा है। रिटेल पंपों से सब्सीडी युक्त डीजल खरीद कर एनसीएल के आधा दर्जन आउट सोर्सिंग कम्पनियां उपयोग कोयला खदानों के लिए कर रही है। जिससे भारत सरकार को करोड़ों का घाटा सहना पड़ रहा है। एनसीएल के अमलोरी, जयंत, दुद्धीचुआं, निगाही, झिंगुरदह परियोजनाआें में कार्यरत आउट सोर्सिंग कम्पनियों द्वारा नियम को ताख पर रखकर आईआेसीएल से बल्क रेट पर डीजल खरीदने की बजाय रिटेल पम्पों से ही डीजल कर खानापूर्ति कर ली जा रही है। रिटेल पम्पों से खरीदे गये डीजल का उपयोग खदानों में संचालित भारी भरकम मशीनों को चलाने में किया जा रहा है।
तेल टंकी पर आेबी कम्पनी के लगे टैंकर में भरते डीजल |
विदित हो कि एनसीएल के आेबी कम्पनियों में उपयोग किये जा रहे सब्सीडी युक्त डीजल का मामला प्रकाश में आने के बाद राष्ट्रीय सहारा ने इसे प्रमुखता से उठाया था। इस बात को संज्ञान में लेकर लखनऊ से आयी क्राईम ब्रांच सेल के डीप्टी एसपी सीबीआई राजीव कुमार की टीम ने उत्तर प्रदेश में स्थित पांच आेबी कम्पनियों में छापेमारी कर हडक़म्प मचा दिया था। इस दौरान आउट सोर्सिंग कम्पनियों में उपयोग किये गये डीजल का व्योरा लेकर कार्यवाही हेतु चले गये। इसके बाद से जारी सब्सीडी युक्त डीजल के उपयोग से कम्पनियों ने तौबा कर लिया लेकिन समय बितने के साथ ही आेबी कम्पनियों में समाया भय खत्म हो गया और फिर से यह धंधा बदस्तुर जारी हो गया। सीबीआई छापेमारी से बची मध्य प्रदेश की लगभग आधा दर्जन कम्पनियों ने मामले को छुपाने के लिए निजी डीजल पंप सिर्फ दिखावे के लिए स्थापित कर रिटेल पम्पों से ही डीजल की सप्लाई लेनी शुरू कर दी। जबकि टेन्डर के मुताबिक इन्हें आईआेसीएल से बल्क रेट पर डीजल खरीदना है परन्तु स्थानीय पुलिस, जिला प्रशासन एवं एनसीएल प्रबंधन की अनदेखी व मिली भगत से रिटेल सब्सीडी रेट पर ही डीजल खरीद कम्पनी के लोग मालामाल हो रहे है। वहीं आम उपभोक्ताआें को मिलने वाली सब्सीडी का गलत इस्तेमाल कर सरकार को करोड़ों का चुना लगाने में लगे है। सीबीआई छापेमारी के बाद कुछ महीनों तक कम्पनियों द्वारा बल्क रेट पर ही डीजल लिया जा रहा था लेकिन इस छापेमारी की छाप धूमिल होते ही रिटेल पंप मालिक एवं आउट सोर्सिंग कम्पनियां दोनों हाथों से राजस्व को लूटने में फिर से मशगूल हो गयी है। आपूर्ति लेने वाली कम्पनियों में उपयोग हुए डीजल का लेखा—जोखा लिया जाय तो मामले का भेद खुल जायेगा, और सरकार को लग रही करोड़ों की चपत पर भी विराम लग सकता है। आईआेसीएल, बीपीसीएल व एचपीसीएल द्वारा पेट्रोल पम्पों को सब्सीडी वाले डीजल को बल्क में न देने के बावजूद भी मध्य प्रदेश साईड में पेट्रोल पम्पों से डीजल का खुला खेल खेला जा रहा है। जबकि इस मामले को पत्रकारों ने एनसीएल दौरे पर आये कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल के समाने भी उठाया था। कोयला मंत्री ने इस मामले पर सीधे तौर पर कहा था चोरी करने वाली की जगह जेल में होनी चाहिए, चाहे वह सरकारी व गौर सरकारी कार्य में लगे हो।
अधिकारी बोलें :—
" इस संदर्भ में सिंगरौली जिले कें पेट्रोल टंकी से एनसीएल के आेबी सहित अन्य जगहों पर दिए जा रहें बल्क में डीजल के बाबत जिलापूर्ति अधिकारी सिंगरौली बीआर डोंगरे ने बताया 22 सौ लीटर तक डीजल विभिन्न टंकियों पर देनें की अनुमती है। लेकिन तेंल कम्पनियों के नियमानुसार ही बल्क में डीजल देना बिल्कुल ही मना है। इसके बावजूद अगर टैंकर से सीधी आपूर्ति की जा रही है, पुक्ता जानकारी मिलनें पर सम्बंधित पम्पों का निरस्तीकरण की भी कार्यवाही हों सकती है वहीं तेल कम्पनी आईआेसीएल के सेल्स आफिसर सिंगरौली ने बताया इस तरह की जानकारी हमारे पास नहीं मिली है। आप के द्वारा जानकारी मिलने के बाद इस बात को पता कर पाबंद किया जायेगा।"
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