:— वैधानिक संस्थाआें को लगातार सौपी जाती है रिपोर्ट
:— कंपनी में तय मानकों से काफी कम है वायु एवं जल प्रदूषण
:— कंपनी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए अनगिनत कदम
पर्यावरण संरक्षण एवं पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) की अथक कोशिश लगातार जारी है। पर्यावरण प्रदूषण पर पैनी नजर रखने वाली वैधानिक संस्थाआें द्वारा वायु एवं जल प्रदूषण के मामलों में तय मानकों पर कंपनी खरी उतरी है, जो इस दिशा में कंपनी की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एनसीएल की मुहिम को लेकर फैल रही सार्वजनिक भ्रांतिआें के मद्देनजर कंपनी का यह पक्ष सार्वजनिक हित में बेहद अहम है।
कंपनी को यूपी एवं एमपी में स्थित परियोजनाआें में कोयला खनन करने के लिए संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति हासिल है तथा संबंधित प्रदूषण बोर्ड द्वारा रिपोर्ट कार्ड के आधार पर इस अनुमति का समय समय पर नवीनीकरण किया जाता रहा है। कंपनी की परियोजनाआें द्वारा वायु एवं जल के गुणवत्ता के बाबत सतत् निगरानी के तहत पाक्षिक आधार पर जल एवं वायु का विश्लेषण केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अधिकृत लैब से कराया जाता है एवं उसकी तिमाही रिपोर्ट राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी जाती है, जिस पर बोर्ड ने किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई है। गौरतलब है कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा तय मानकों को दृष्टिगत रखते हुए सीएमपीडीआई द्वारा पाक्षिक आधार पर वायु एवं जल की गुणवत्ता की जांच एवं निगरानी की जाती है। यह जानकारी बेहद अहम है कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण जांच एवं निगरानी के लिए अधिकृत संस्थाआें में सीएमपीडीआई का नाम भी शामिल है।
सीएमपीडीआई द्वारा एनसीएल की विभिन्न परियोजनाआें के लिए जारी अक्टूबर-दिसंबर 2१३ की तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक, परियोजनाआें द्वारा वायु की गुणवत्ता मापने के संदर्भ में एसपीएम 234-39५ माइको ग्राम प्रतिमीटर क्यूब थी, जिसकी परमिसिबल लिमिट (अनुमेय सीमा) 60 है। वायु की गुणवत्ता से ही संबंधित आरपीएम 10-17३ माइको ग्राम प्रति मीटर क्यूब थी, जिसकी परमिसिबल लिमिट 30 है। इसी तरह, अप्रैल 2१३ से मार्च 2१४ की अवधि में जल की गुणवत्ता आंकने से संबंधित टीएसएस 28-36 पीपीएम थी, जिसकी परमिसिबल लिमिट 10 पीपीएम है। ऑयल एवं ग्रीस के संदर्भ में इस अवधि में यह 3—4 पीपीएम थी, जिसकी परमिसिबल लिमिट 1 थी। बीआेडी 12—38 पीपीएम थी, जिसकी परमिसिबल लिमिट 3 पीपीएम है तथा सीआेडी 39—7४ पीपीएम थी, जिसकी परमिसिबल लिमिट 25 पीपीएम है। इस अवधि में पीएच लेवल 7$6४—7$7६ थी, जिसके लिए परमिसिबल लिमिट 5$5—9$0 निर्धारित है। ये सभी आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि एनसीएल द्वारा वायु एवं जल प्रदूषण के लिए निर्धारित मानकों से काफी कम प्रदूषण किया जाता है। ज्ञातव्य है कि अब तक 2 करोड़ से अधिक पौधारोपण करने के अतिरिक्त एनसीएल ने वायु एवं जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अपनी परियोजनाआें में 1 ईटीपी, 8 एसटीपी, ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर का स्थापन, डस्ट साइक्लोन लगाने, मोबाइल वाटर स्प्रिंकलर का प्रयोग, फायर हाइड्रेंट सिस्टम, कवर्ड सीएचपी एवं एमजीआर के जरिए कोयले का अधिकतम डिस्पैच किए जाने सहित अनगिनत उपाय किए हैं। संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु एवं जल की गुणवत्ता की जांच के लिए एनसीएल की परियोजनाआें की लगातार विजिट के जरिए निगरानी की जाती है।
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