शनिवार, 2 अगस्त 2014

ऊर्जांचल व सिंगरौली में बढ़ते प्रदूषण के चलते परिक्षेत्र में नहीं लगेगी नई परियोजनाएं

:— इन्डेक्स 8 के नीचे आने पर ही लग सकेगे नये उद्योग
:— जांच टीम एनजीटी टीम को 19 फरवरी को सौपी थी अपनी रिपोर्ट

प्रेस वार्ता के दौरान जानकारी देते जांट टीम के सदस्य। 
नेशनल ग्रीन ट्रीनव्यूनर द्वारा गठित प्रदूषण जांच समिति के नामित सदस्यों ने ऊर्जांचल के विभिन्न स्थानों का अवलोकन कर बताया कि यदि सीपी 8 से नीचे नहीं आ जाता तब तक सिंगरौली परिक्षेत्र में एक भी परियोजाओ का एनओसी नहीं दी जायेगी। प्रदूषण जांच समिति टीम ने ऊर्जांचल के विभिन्न स्थानों पर रिहंद जलाशय का सेम्पल लेने के बाद विशेषज्ञों ने बताया कि बगैर प्रदूषण नियंत्रण के भविष्य में कोई भी उद्योग लगाना बेहद खतरनाक है। इन्वायमेंटल पाल्यूसन इन्डेक्स अर्थात ईपीआई का स्तर 8 से उपर है जो मानव जीवन के लिए जान लेवा साबित हो रहा है। सिंगरौली परिक्षेत्र में उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने ऐस डाइक से सीधे रिजर्व वायर में ऐस छोडऩे पर गहरी चिंता जताई एवं कहा कि इसको गम्भीरता से लिया जा रहा है। जांच समिति की अगुवाई कर रहे एबी अकोलकर ने पत्रकारों से बताया कि रिहंद जलाशय उद्योगों से निकल रही राख के मिश्रित होने के कारण क्षेत्र की कई स्थानों पर पानी एवं हवा में गम्भीर रसायन का रूप धारण कर लिया है। जिसकी एक रिर्पोंट तैयार कर एनजीटी को भेजी जायेगी। समिति ने आश्वासन दिया कि सडक़ से हो रहे कोल परिवहन से फैल रहे वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा इसको रोकने के लिए उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ सोनभद्र इकाई के जिला महासचिव संजय द्विवेदी द्वारा दिये गये पत्रक को सज्ञान में लेते हुए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नामित सदस्यों ने कहा कि रेनूसागर पावर द्वारा कृष्णशीला परियोजना में इजात की गयी पाईप कन्वेयर बेल्ट सिस्टम बेहद इको फ्रेडली है। इसे रेलवे से एनओसी दिलाने के लिए माननीय राष्ट्रीय हरित आयोग को भी अवगत करायेगे। ताकि ट्रक के 7 सौ फेरों से निजात मिल सके। जांच समिति ने बताया कि ऊर्जांचल के विभिन्न स्थानों का अवलोकन कर एक रिर्पोट तैयार कर 19 फरवरी को रिपोर्ट सौप दे दी गई है.

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