रविवार, 16 फ़रवरी 2020

रेणु-रिहन्द के प्रदुषण पर लगाम लगाये बगैर गंगा स्वच्छता की उम्मीद सरकार का सपना

उत्तर प्रदेश के जनपदः-सोनभद्र व मध्य प्रदेश के जिलाः-सिंगरौली की लगभग 30 लाख की आबादी के पेयजल स्त्रोत रेणु नदी को बांधकर बनाये गये रिहन्द जलाशय (गोविन्द वल्लभ पंत सागर) जो अन्तिम मे गंगा नदी मे जाकर मिलती हैका पानी सिंगरौली-सोनभद्र मे स्थित ताप विद्दुत परियोजनाओ द्वारा राख मिश्रित जल(स्लरी) व कोयला खदान परियोजनाओ के खनन संक्रियाओ की विषाक्त तत्वो युक्त जल निकासी सेजहर हो चुका है। इस संदर्भ मे राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा तमाम याचिकाओ पर सूनवाई के दरम्यान सामाजिक कार्यकर्ता जगतनारायन विश्वकर्मा की याचिका मे लगाई गयी वर्ष 2014 के पुर्व की तस्वीरो व दर्शाये गये तथ्यो व एनजीटी द्वारा गठित कोर कमेटी की रिपोर्टको संग्यान मे लेकर स्पष्ट किया जा चुका है कि किसी भी औद्दोगिक संस्थान द्वारा रिहन्द जलाशय मे औद्दोगिक संक्रियाओ की जलनिकासी नही की जायेगी बावजुद इसके औद्दोगिक इकाईयो द्वारा रिहन्द मे प्रदुषित जल निकासी पर लगाम नही लगाया जा सका है।

रिहन्द जलाशय मे प्रदुषण नियंत्रण को लेकर जितनी सख्ती दिखाई जाती  है व साफ करने के प्रयास किये जाते है उसका चार गुना औद्दोगिक संस्थान इस जलाशय को प्रदुषित करते है अभी एनटीपीसी विन्ध्यनगर के ऐश डाईक टुटने के कारण लाखो टन राख जो जल मे मिश्रित था रिहन्द मे चला गया था औरअभी प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड इसके दुष्प्रभाव का आंकलन व इस प्रवाहित राख को निकाले जाने तथा पुनः मुल स्थिति मे लाने हेतु एक्शन प्लान निर्माण भी नही कर पाया था कि एनजीटी द्वारा सिंगरौली-सोनभद्र के भयावह प्रदुषण नियंत्रण के बाबत् एनजीटी द्वारा पारित आदेशो का अनुपालन सुनिश्चित किये जाने के उद्देश्य से गठित ओवरसाईट कमेटी कि इलाहाबाद मे हुई बैठक मे कमेटी के समक्ष सामाजिक कार्यकर्ता पंकज मिश्रा ने अनपरा तापीय परियोजना के ग्राम बेलवादह मे स्थित राख बन्धे से लगातार धारा प्रवाह राख मिश्रित जल(स्लरी) रिहन्द मे छोडे जाने की विडियोज व तस्वीरे प्रस्तुत कर कमेटी को भौचक्का कर दिया की लापरवाहीइस कदर कि 24 घण्टे प्रतिदिन राख रिहन्द मे बहाया जा रहा है जिस पर कमेटी ने नाराजगी जताई थी और सिंगरौली-सोनभद्र के दौरे पर आगमन के दरम्यान स्वयं ओवरसाईट कमेटी ने बेलवादह राख बन्धे का निरीक्षण किया और धारा प्रवाह राख मिश्रित जल रिहन्द मे छोडे जाने और लोगो के पेयजल के स्त्रोत मे जहर मिलाये जाने का भयावह मंजर देखा जिसके उपरान्त एनजीटी की ओवरसाइट कमेटी ने अनपरा तापीय परियोजना की ईकाईयो को फौरी तौर पर बन्द किये जाने की संस्तुति सहित सिफारीश अपनी रिपोर्ट मे की है व प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड को दुष्प्रभाव का आकंलन करने का निर्देश दिया है जिसके उपरान्त कमेटी द्वारा अनपरा तापीय परियोजना के उपर पर्यावरणीय क्षति के एवज मे जुर्माना लगाया जायेगा और जुर्माने की राशि वसुली जायेगी जो नया नही होगा क्योकि इसके पुर्व भी अधिवक्ता अभिषेक चौबे के माध्यम से एनजीटी मे दाखिल याचिका पर सूनवाई के क्रम मे गठित कमेटी ने औद्दोगिक संस्थानो पर करोडो का जुर्माना लगाया था परन्तु आज तक वसुले गये जुर्माने की राशियो से अभी तक रिहन्द से प्रदुषित कचडे को हटाये जाने को लेकर कोई कवायद नही की गयी हैऐसे मे प्रश्न है कि क्या जुर्माना वसुल कर एकत्रित करने मात्र से हम रिहन्द को साफ कर पायेंगे,,

हमारे भारत की मेनस्ट्रीम मिडिया व पत्रकारो के पास हिन्दु मुस्लिम से अतिरिक्त समय नही है कि वह रिहन्द के प्रदुषण को दिखाये परन्तु इसे दिखाया जाना इसलिये आवश्यक है क्योकि रिहन्द का पानी अन्तिम मे जाकर गंगा मे मिलता है और गंगा को स्वच्छ और निर्मल करना भारत सरकार और प्रधानमंच्री का ड्रीम प्रोजक्ट है जिसके लिये हजारो करोड रुपये पानी की तरह बहाये जा रहा है परन्तु रेणु-रिहन्द को साफ किये बगैर गंगा को साफ करने की उम्मीद करना तो एक स्वप्न मात्र है।

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