रविवार, 16 फ़रवरी 2020

हिण्डालको मे बंधुआ मजदुरी जैसा दौर, हिटलरी फरमानो की भरमार

उत्तर प्रदेश के जनपद सोनभद्र के रेणुसागर व रेणुकुट मे स्थित हिण्डालको की परियोजनाओ मे संविदा मजदुरो के लिये बंधुआ मजदुरी के जैसा दौर चल रहा है हिण्डालको की रेणुसागर पावर डिवीजन मे मजदुरो के कार्यस्थल पर खाद्द पदार्थो को रेट बढाया जाता है और मजदुर विरोध करते है तो 250-300 मजदुरो को निकाल दिया जाता है और अपर श्रमायुक्त के निर्देश के उपरान्त भी खाद्य पदार्थो के बढाये गये मुल्यो को वापस नही लिया जाता है और हिण्डालको रेणुकुट मे ठेका मजदुरो से एक निर्धारित प्रारुप मे उनके पहचान के हिण्डालको मे कार्यरत स्थाई कर्मियो से लिखित शपथ पत्र मांगा जा रहा है कि यदि वह ठेका मजदुर जिसके सम्बन्ध मे हिण्डालको के किसी स्थाई कर्मचारी द्वारा काम पर रखे जाने की सहमति जताई जा रही है तो उस मजदुर से होने वाली हानि की भरपाई उस स्थाई कर्मचारी के ग्रेच्युटी व पीएफ के पैसे से की जायेगी। इस तरह की घोषणा जो कोई श्रम कानुन मांगे जाने की अनुमति नही देता है वह काम पर रखे जाने के पुर्व मे मांगी जा रही है जबकि किसी तरह की हानि होना भविष्य के गर्त मे है। हिण्डालको प्रबन्धन की संविदा मजदुर विरोधी ज्योतिष विद्या इस तरह है कि मजदुर से हानि हो सकती है यह उनकी सोच है परन्तु उस मजदुर से होने वाले लाभ का अंश किसे दिया जायेगा इसका जवाब शायद हिण्डालको प्रबंधन के पास नही होगा और मतलब निरंकुशता इस कदर की हानि की भरपाई किसी मजदुर से सम्बन्धित स्थाई कर्मी के भविष्य निधि और ग्रेच्युटी के पैसे से कटौती कर की जायेगी ऐसा प्रारुपी शपथ पत्र मांगते समय हिण्डालको को श्रम कानुन का तनिक भी भय नही है और श्रम कानुन का भय हो भी क्यो रेणुसागर के प्रकरण मे डीएलसी पिपरी ने तीन बार से ज्यादा रेणुसागर पावर डिवीजन हेड के.पी. यादव को औद्योगिक शांति बनाये रखने हेतु वार्ता मे आने की नोटिस दी परन्तु रेणुसागर पावर डिवीजन हेड के.पी. यादव नही पहुंचे और थक-हार कर डीएलसी पिपरी को कहना पड गया था कि आप स्वयं औद्योगिक शान्ति नही चाहते है तभी वार्ता मे नही आ रहे है औऱ जिसके बाद रेणुसागर की घटना घटी थी और 250 से 300 मजदुर काम से निकाल दिये गये और श्रम विभाग के अधिकारी सब कुछ जानते हुये भी एक कार्यवाही प्रबन्धन के उपर नही कर पाये और सबसे बडा दुर्भाग्य है कि हिण्डालको की इन परियोजनाओ मे स्थित स्थाई कर्मचारियो की युनियन जिन्दा लाश जैसी है जिन्हे मैने खुद के जानकारी के 10 वर्ष के कार्यकाल मे कभी भी हिण्डालको की श्रमिक विरोधी नितियो के विरुध्द मुखर होते नही देखा। परन्तु तानाशाही का दौर कितना भी गहरा हो एक बगावती आवाज जरुर जिन्दा रहती है और हिण्डालको रेणुकुट के इस हिटलरी फरमान के विरुध्द भी सोनभद्र की दिनकर कपुर के नेतृत्व वाले ठेका मजदुर युनियन के नेता नौशाद मियां ने मुखर होकर विरोध जताया है तथा अपर श्रमायुक्त, पिपरी(विन्ध्याचल मण्डल) को पत्र भेजकर इस तरह की अवैधानिक घोषणा शपथ पत्र प्रारुप को वापस लिये जाने का निर्देश हिण्डालको प्रबन्धन को देने की मांग की है।

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