रविवार, 16 फ़रवरी 2020

क्या सोनांचल संघर्ष वाहिनी बन पायेगी सोनभद्र का दुसरा समीकरण

आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन जिले मिर्जापुर का हिस्सा व वर्तमान सोनभद्र जिले की अपनी एक अलग पहचान है जिसके सृजनकर्ता कांग्रेस के स्व. सांसद रामप्यारे पनिका जी रहे है। सोनभद्र अक्सर विवादित होने के कारण भारत मे जाना गया है जिसका कारण इस जनपद मे अकुत खनिज सम्पदा का भण्डारण होना है यह जिला कभी नक्सलवाद मिटाने के ढोंग के नाम पर रन टोला काण्ड मे निरीहो की हत्या तो कभी पोंटी चड्ढा के अवैध खनन तो कभी  खदान हादसे तो कभी डाला सीमेन्ट फैक्ट्री मे गोलीबारी तो कभी कनहर मे अकलु चेरो के छाती पर गोली मारे जाने के कारण तो आज उम्भा काण्ड के कारण सुर्खियो मे आता रहा है अर्थात यह जिला सदैव विवादित रहा है और महत्वपुर्ण है कि यह उत्तर प्रदेश सरकार को अत्यधिक राजस्व देने वाले प्रमुख जिलो मे से एक है। इस जिले मे सर्वाधिक विवाद वन भूमि, खनन के कारण होते है और दुसरा विवाद का कारण भूमियो का अधिग्रहण है इस जिले मे विभिन्न सिंचाई, ताप, कोयला व अन्य परियोजनाओ हेतु भूमियो को पुर्नग्रहण अथवा अधिग्रहण के माध्यम से लिया गया है। इस सोनभद्र जिले मे रिहन्द बांध, कनहर बांध, अनपरा तापीय परियोजना, रेनुसागर पावर डिवीजन, डाला सीमेन्ट फैक्ट्री, एनसीएल की कोयला खदानो हेतु भूमियो को अधिग्रहण, पुर्नग्रहण अथवा म्युच्युल कन्सेन्ट के माध्यम से लिया गया है तथा इन परियोजनाओ के तमाम विस्थापितो कि भूमियो को लिये जाने के बाद या तो नियमानुसार उन्हे पुर्नवासित नही किया गया अथवा आज उन्हे इन परियोजनाओ मे सृजित कार्यो मे रोजगार न दिये जाने के कारण विस्थापित भुखमरी के कगार है व आजिविका के संकट से जुझ रहे हैं व दुसरी ओर खनन से प्रभावित लोगो को खनन कार्यो मे रोजगार न मिलने के कारण इन खनन प्रभावित व विस्थापित लोगो मे प्रमुख राजनीतिक दलो के प्रति एक आक्रोश है जो दुसरा राजनीतिक समीकरण न होने के कारण कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा के इर्द गिर्द घुमता रहता है तथा न चाहते हुये भी यह इन पार्टियो को हर बार अलग अलग अवसर देते रहते है परन्तु आज तक समस्या का हल नही हुआ है।

सोनभद्र जिले के ओबरा मे स्थित ओबरा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्र नेता रोशन लाल यादव  जो कभी मुलायम सिंह यादव के करीबी भी रहे भले ही आज उन्होने समाजवादी पार्टी से दुरी बना अपनी एक अलग पार्टी बना ली है। रोशन लाल यादव सदैव शुरु से ही क्रान्तिकारी प्रवृत्ति के रहे है और उन्होने लगातार सोनभद्र मे दुर्व्यवस्थाओ चाहे व अवैध खनन हो या स्थानीय नौजवानो के रोजगार की समस्या हो या आदिवासियो की जल-जंगल-जमीन की समस्या के निराकरण व स्वायत्तशासी सोनांचल राज्य की मांग को लेकर लगातार मुखर होकर अपने संगठन सोनांचल संघर्ष वाहिनी के बैनर तले आवाज उठाई है। अब वर्ष 2019 मे रोशन लाल यादव के संगठन सोनांचल संघर्ष वाहिनी को निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दल के रुप मे मान्यता दी है व रोशनलाल आने वाले दिनो मे अपने राजनीतिक दल सोनांचल संघर्ष वाहिनी का राष्ट्रीय अधिवेशन करने जा रहे है जिसके लिये उन्होने कई दिग्गज नेताओ को आमंत्रण भी दे दिया है परन्तु इन परिस्थितियो मे यह प्रश्न उठता है कि क्या सोनांचल संघर्ष वाहिनी प्रमुख राजनीतिक दलो से परे हटकर सोनभद्र का दुसरा समीकरण बन पायेगी व सोनभद्र के जनता के दिल मे जगह बना पायेगी क्योकि जिस पार्टी कांग्रेस ने सोनभद्र को अलग व स्वयं की पहचान दी उस पार्टी को विगत् कई चुनावो मे कोई सफलता नही मिली है तथा कांग्रेस धुल फांक रही है व यदि सोनांचल संघर्ष वाहिनी अन्य विकल्प बनती है तो उसके प्रमुख उद्देश्य क्या होंगे यह भविष्य के गर्त मे है हम आपको सोनांचल संघर्ष वाहिनी के विजन व मुद्दे अगले अंक मे बतायेंगे तब तक सोनभद्र की विशेष खबरो हेतु आप हमारे न्युज पोर्टल पर नजर बनाये रहिये।

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