शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

क्यों होती हैं अक्सर ये दर्दनाक मौतें ?


यह एक पहेली है, फिर भी पूर्व में हुई मौतों के कारणों पर गौर करें तो तीन बातें प्रमुख रूप से सामने आती हैं-

पहलाः-विंध्य क्षेत्र की पत्थर की खदानों में काम करने वाले अधिकतर मजदूर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के उन परिवारों के होते हैं जो गरीबी का दंश झेल रहे होते हैं। जंगलों में निवास करने वाले भूमिहीन आदिवासी एवं पारंपरिक वन निवासी मजदूर पत्थर, मोरम, मिट्टी, बालू, कोयला आदि की खतरनाक खदानों में विस्फोटक पदार्थों के इस्तेमाल और खनन के लिए प्रशिक्षित नहीं होने के कारण मौत का कूआँ बन चुकी पत्थर की खदानों में जरा-सी चूक पर अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं। विंध्य क्षेत्र की पत्थर की कई खदानें 50 मीटर से लेकर 200 मीटर तक गहरी हो चुकी हैं। इन खदानों में काम करना अप्रशिक्षित मजदूरों के लिए शेर की माद में घुसने के बराबर है।

दूसराः-विंध्य क्षेत्र में डोलो स्टोन, सैंड स्टोन, लाइम स्टोन, कोयला, बालू, मोरम आदि का अकूत भंडार है। इन खनिज पदार्थों के दोहन के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के माफियाओं और सफेदपोशों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सत्ताधारी पार्टियों के नुमाइंदे बनकर मलाईदार मंत्रालयों की कुर्सी सम्भाल रहे कुछ सफेदपोशों ने विंध्य क्षेत्र से धन उगाही के लिए बकायदा अपने एजेंटों को तैनात कर दिया है और शासन के मानकों की धज्जियां उड़ाकर अवैध खनन एवं परिवहन को बढ़ावा दे रहे हैं। 

भ्रष्टाचार के आंकठ में डूबी नौकरशाही और सफेदपोशों के चलते खनन माफियाओं ने पूरे विंध्य क्षेत्र में अराजकता का माहौल पैदा कर दिया है। खनन माफिया विंध्य की पहाडयिों पर खुलेआम अवैध खनन करवा रहे हैं। साथ ही खनन विभाग द्वारा जारी एमएम 11 परमिट के बिना मिट्टी, मोरम, बालू, बोल्डर आदि का परिवहन करवा रहे हैं। इन बातों की पुष्टि जिला प्रशासन द्वारा गठित टीम के छापेमारी में भी आए दिन होती रहती है।

पत्थर की खदानों के लिए शासन द्वारा निर्धारित मानक को खनन क्षेत्र में कोई भी खदान संचालक पूरा नहीं करता है। खनन क्षेत्र में मौत का कूआं बन चुकी पत्थर की गहरी खदानों में सुरक्षा के कोई भी इंतजाम नहीं है। खदान अथवा क्रशर प्लांट को जाने वाले रास्ते तारकोल और खड़ंजा युक्त नहीं है। ना ही किसी पत्थर की गहरी खदान के चारों ओर बाउंड्री वाल बनाया जाता है। सुरक्षा के इन इंतजामों के अभाव में मजदूरों की मौत बड़े पैमाने पर हो रही है। 

तीसराः-अवैध खनन और परिवहन को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने टास्क फोर्स की टीमें गठित की है, लेकिन ये टीमें औपचारिकता मात्र बन कर रह गयी है। समाज सेवियों की बार-बार शिकायत पर कभी कभार ये टीमें खनन क्षेत्रों में छापा मारती है तो बड़ी मात्रा में अवैध खनन और परिवहन का मामला प्रकाश में आता है। टीम द्वारा औपचारिकता पूरा करते हुए अवैध क्रशर प्लांट व बिना एमएम 11 की परमिट वाले वाहनों को सीज किया जाता है। इसके कुछ ही घंटों बाद खनन व परिवहन माफियाओं के प्रभाव के चलते सीज वाहन सड़कों पर दौड़ने लगते है और क्रशर प्लांट क्षेत्र में शोर मचाते हुए जहर उगलने लगते हैं। इतना ही नहीं जिला प्रशासन की उदासीनता और सत्ता में बैठे सफेदपोशों की शह के चलते खनन माफिया अब खान विभाग की टीम पर हमला भी बोलने से नहीं डरते हैं। 

विंध्य क्षेत्र खासकर सोनभद्र जनपद के खनन क्षेत्रों में पूर्वांचल के माफियाओं की दखलदांजी ने मजदूरों समेत अन्य मजलूमों की मौतों में इजाफा कर दिया है। जनपद में हो रही हत्याओं के प्रति जिला प्रशासन की उदासीनता और खनन माफियाओं के डर से खनन क्षेत्र में हो रही मौतों की सच्चाई बोलने में हर व्यक्ति खतरा महसूस कर रहा है। इसके चलते पुलिस महकमा खनन क्षेत्र में हो रही हत्याओं को दुर्घटना करार देकर सच्चाई का दम घोट रहा है।

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