शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

खोती जिंदगियों का पूछनहार कोई नहीं


जहरीले पानी से मौतें होने के बावजूद प्रशासन खामोश, अब तक डडिहरा तथा नेमना को मिलाकर तीन दर्जन ग्रामीण आदिवासियों की मौत हो चुकी है, अनपरा। देश की आधे से अधिक ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति करने वाले ऊर्जांचल के विकास खंड म्योरपुर में जीवन के लिए खतरा उत्पन्न होते जा रहा है। गोविंद बल्लभ पंत बांध का जहरीला हो रहा पानी हर साल सैकड़ों जिंदगियों को खामोश कर दे रहा है। कमरीड़ाह में दो वर्ष में हुई मौतों को लेकर मानवाधिकार आयोग के आलाधिकारी क्षेत्र का दौरा कर इस क्षेत्र को रहने के लिए खतरनाक बता चुके हैं। लेकिन रिहंद बांध के किनारे सदियों से रहने वाले आदिवासियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए जमीनी तौर पर कुछ नहीं किया जा सका। इस वर्ष अब तक डडिहरा तथा नेमना को मिलाकर तीन दर्जन ग्रामीण आदिवासियों की मौत हो चुकी है, मानवाधिकार आयोग जन संघर्ष मोर्चा तथा अन्य गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा दिए गए सूचना को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश तथा जिला प्रशासन को इस क्षेत्र में विशेष सतर्कता बरतने तथा जन हानि रोकने का दो बार फरमान दे चुका है। लेकिन आदिवासियों की रोजाना स्वाहा हो रही जिंदगियों को बचाने के लिए विशेष ब्लू प्रिंट तैयार कर इस क्षेत्र के लोगोें के लिए कुछ नहीं किया जा सका। जानकार बताते हैं कि इस क्षेत्र में मौतें तो बहुत हुईं लेकिन अब तक प्रकाश में आधा-अधूरे की ही मामले सामने आ सके हैं। मानवाधिकार आयोग में इस क्षेत्र के लोगों की दुर्दशा को लेकर शिकायत दर्ज कराने वाले जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर ने बताया कि शुद्ध पेय जल की पूर्ति सहित प्राथमिक स्वास्थ्य के लिए प्रशासन द्वारा कुछ नहीं किया गया जो कि घोर मानवीय अधिकारों का हनन है।

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