विंध्य क्षेत्र खासकर सोनभद्र के खनन क्षेत्र में हो रही मजदूरों की मौत के लिए प्रशासन की भूमिका संतोषजनक नहीं हैं। सोनभद्र के जिला खान अधिकारी कार्यालय के आंकड़ों की मानें तो उत्तर प्रदेश उप खनिज (परिहार) नियमावली 1963 के प्रावधानों के तहत कुल 269 खनन पट्टे स्वीकृकृत हैं। बुनियादी तौर पर खान विभाग के आंकड़े वास्तविकता से कोसों दूर हैं।
बिल्ली, मारकुंडी, डाला, चोपन, बारी, रासपहाड़ी, सलखन, खैराही, सुकृत, घोरावल, पकरहट, बहुअरा आदि खनन क्षेत्र का निरीक्षण करने पर इनकी तादात हजारों में है जो पूरी तरह अवैध हैं। खनिज पदार्थों के परिवहन में भी खनन माफियाओं द्वारा बड़े पैमाने पर राजस्व चोरी की जा रही है, फिर भी प्रशासन मौन है। अवैध परिवहन की बात कई बार जिला प्रशासन के छापे में सामने आ चुकी हैं। खनन क्षेत्र में अवैध खनन की पुष्टि जिला खान अधिकारी भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं, खनन क्षेत्र में हो रही ताबड़तोड़ मौतों और अवैध खनन के बाद भी जिला प्रशासन राबर्ट्सगंज तहसील के अन्तर्गत खनन के लिए बकायदा टेंडर जारी कर पट्टा आवंटन को अंजाम दे रहा हैं।
वैध खदानों की आड़ में अवैध खनन व परिवहन कर रहे खनन माफियाओं पर अंकुश लगाने में असफल प्रशासन की कारगुजारियों के कारण खनन क्षेत्र में मजदूरों की मौतों में इजाफा हो रहा है। विंध्य क्षेत्र में अवैध खनन और परिवहन पर यथाशीघ्र अंकुश लगाने की जरूरत है। अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब आदिवासियों की लोक संस्कृति इतिहास के पन्नों में ही पढ़ने की मिलेगी।
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