सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

मोबाईल व टावर कई भयानक बिमारियों को भी जन्म दे रहा है।


क्षेत्र मंे लगे विभिन्न कम्पनीयों के मोबाईल टावर अपने प्रारम्भिक समय में बेहतर सेवा प्रदान कर अब लोगों को रूलाने लगी है। महंगा होने के चलते प्रारम्भीक वर्षों मंे मोबाईल सेवा सुलभ नहीं थी मगर टेलीकाम कम्पनियों द्वारा ग्राहको को लुभाने की दौड़ में व दर कम करने से यह सबके जीवन का अभिन्न अंग बन गया है स्थिती यह है हम इसके बगैर जीवन के बारे में सोच भी नहीं सकते विभिन्न टावरों के छमता से ज्यादा कनेक्सन धारक होने के चलते फोन मिलना मुस्किल होता जा रहा है। जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका मोबाईल व उसका टावर कई भयानक बिमारियों को भी जन्म दे रहा है। वैज्ञानिकों की रिसर्च बताती है कि मोबाईल टावर व बिजली परियोजना के आस-पास का वातावरण तेजी से विद्युत चुम्बीय प्रदूषण की चपेट में आ रहा है। अन्य प्रदूषण की तरह यह दिखाई तो नहीं पड़ता मगर यह मानव षरीर के नाजुक व प्राकृतिक ऊर्जां तंत्र को अस्त-व्यस्त कर षरीर की प्रतिरोधक क्षमता को क्षीण करता है इतना ही नहीं हाई बोल्टेज के तारों के गुजरने वाले रास्तें के बस्तीयों पर भी इसका प्रतिकुल असर पड़ने की बात बतायी गयी है।

विद्युत चुम्बीय प्रदूषण को जन्म देने वाले महत्वपूर्ण कारकों की खोज में लगे वैज्ञानिकों ने बताया कि ‘‘हाई बोल्टेज के तार, मोबाईल टावर, मोबाईल पर लम्बी बातचीत, फ्रिज, माईक्रोवेव, ओवन, वेक्यूम क्लीनर, बाल सुखाने का यंत्र, खदानों से पानी फेकने की बड़ी मोटर, फूड प्रोसेसर, कम्प्यूटर, टेजीविजन, विडियों गेम, फोटो कापी मषीन, हीटर, इलेक्ट्रानिक वायर व अन्य विद्युत संचालित यंत्र है।’’ चूंकि यह प्रदूषण कुछ दषकों में ही फला-फूला है लेकिन इसके लम्बे परिणाम काफी घातक हो सकते है। हालाकि वैज्ञानिक मोबाईल फोन से मस्तिक कैंसर की बात को नकार रहे है जबकि कुछ खोज इस सम्भावना पर ही चल रही है। बताया जाता है कि जब पहली बार ‘‘सिगरेट पीने से फेफड़ों के कैंसर की बात आयी थी तो बवाल मच गया था। सिगरेट कम्पनियाँ पैसों के दम पर इस मामले को दबाना चाहती थी परन्तु असफल रही। लोगों का अनुमान है कि वह समय दूर नहीं जब मोबाईल पर वैधानिक चेतावनी लिखी जाने लगी कि ‘‘पाॅच मिनट से अधिक मोबाईल पर बात करना हानिकारक हैं। आज मोबाईल का इस्तेमाल न करने वालों का क्लब अमेरिका में चल रहा है। विष्व में न्यूजीलैंड पहला देष है जिसनें स्कूल के विकलांगों व उसके आस-पास मोबाईल टावर को प्रतिबंधित कर रखा हैं। मोबाईल फोन से वाहन दुर्घटना मंे जबजस्त बढ़ोत्तरी हुई। भारत सहित कई देषों ने वाहन चलाते समय मोबाईल प्रयोग पर प्रतिबंध लगा चुका हैं। क्योकि वाहन चलाते समय मोबाईल का प्रयोग करने से मस्तिक्स पर विद्युत चुम्बीय प्रभाव दस गुना अधिक रहता है। न्यूजीलैंड के विष्वविद्यालय ने मोबाईल इस्तेमाल से षरीर में मिनरल, हार्माेन, कैल्षियम आदि तत्वों के असंतुलन की बात कहीं। 

विद्युत चुम्बीय क्षेत्र से होने वाली बिमारी व लक्षण
थकान, सिरदर्द, तनाव, बालों का झड़ना, बेचैनी, थापराईड ग्रंथी की समस्या, असमय बुढ़ाता, अल्जाइमर, पार्किसन्स, कोषकीय क्षरण, इत्यादि इसके प्रमुख लक्षण है इसके अलावा यादाष्त, अनिद्रा, मुहं व मस्तिक का कैंसर, हृदय रोग, किडनी की समस्या, स्थायी रूप से ले सकती हैं। इस नये प्रदूषण से मुक्ति के लिए हमंे मोबाईल फोन से सम्पर्क कम रखना होगा। छः मिटन से ज्यादा बात नहीं करनी होगी। अगर मोबाईल मे सिग्नल कम हो तो बात नहीं करनी चाहिए क्याकि ऐसे समय फोन के विद्युत चुम्बीय क्षेत्र का घनत्व सबसे अधिक होता है। बस, ट्रेन में चलते समय फोन पर सिंग्नल सबसे अधिक होता है। खड़ी गाड़ी में चुम्बकीय क्षेत्र सबसे अधिक होता है जो आस-पास के लोगों केा भी प्रभावित करता है। वैज्ञानिक भाषा में ‘‘फराडे केज’’ प्रभाव कहते है। हाई टेंषन तार के निचे बात करना मौत को दावत देना है, मुम्बई के बाद्रां स्टेषन पर एक लड़के की मौत ने इसे साबित भी कर दिया है।

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