शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

पहाड़ियों के अस्तित्व पर अत्यधिक खनन से खतरा


पहाड़ियों पर आज भी अंकित है आदि मानवों द्वारा उकेरे चित्र।
खनन में अवैध तरीके से हो रहा है विस्फोटकों का प्रयोग। 
विकास के नाम पर पहाड़ियों पर हो रहा प्रहार।
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सोनभद्र जिले में स्थित पंचमुखी और चनाइमान जैसी पहाड़यों पर प्रागैतिहासिक कालीन चित्र गुफाए आज भी मौजूद हैं जो जिले में प्राचीन समय की धरोहर हैं। इनके संरक्षण के लिए शासन द्वारा समय-समय पर आदेश जारी किए जा चुके हैं, बावजूद इसके इन पहाड़ीयों पर हथौड़े और घन ही नहीं बल्कि पत्थरों के खनन कार्यो में विस्फोटकों का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। अवैध रूप से हो रहे खनन को सही ठहराने के लिए जिला प्रषासन द्वारा विकास के नाम का सहारा लिया जा रहा है। बीते पंचमुखी पहाड़ी पर प्राचीन पंचमुखी महादेव का मंदिर स्थित है, जिसके पीछे ही आदि मानवों के हाथों से उकेरी गई चित्र शृंखलाएं अनमोल धरोहर के रूप में विद्यमान है। इसी प्रकार दुद्धी, बभनी, म्योरपुर और रेणुकापार इलाकों में विकास के लिए बनाई जा रही सड़कों में भी प्राचीन पहाड़ियों के पत्थरों को तोड़ कर खपाया जा रहा है। ठेकेदारों से इस संबंध में बात की गई तो वे इसके लिए विकास विभाग से जुड़े अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कहते हैं कि यदि 52 फीसदी हिस्सेदारी अधिकारी लेंगे तो ठेकेदारों की मजबूरी हो जाएगी कि वे स्थानीय पहाड़ियों की गिट्टी-पत्थर और नदियों से बालू लेकर विकास के कार्यों में उसका प्रयोग करें।

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