विगत साल मानसून के देर से आने की वजह से किसान धान की रोपाई हीं कर पाए। मानसून आया तो अब किसानों को समितियों से खाद और बीज नहीं मिल रहा है। ऐसे में किसानों को बाजार से ऊंचे दामों में खाद और बीच खरीदना पड़ रहा है। कुछ समितियों पर यदि खाद और बीज मिल भी रहा है तो वह भी चयनित कुछ ही किसानों को। छोटे किसानों को तो कोई पूछने वाला ही नहीं है। हकीकत यह है कि समितियों का गोदाम खाली न होने की वजह से खाद और बीज नहीं मंगाया जा रहा है। जिले में 72 सहकारी समितियां हैं। इसमें 67 समितियां काम कर रही हैं। कुछ समितियों पर खाद-बीज उपलब्ध है। ज्यादातर समितियों के गोदाम खाली ही नहीं है। ऐसे में खाद रखने के लिए जगह ही नहीं है। किसानों को समय पर खाद और बीज नहीं मिलना कोई नई बात नहीं है। समय बीत जाने के बाद समितियों पर खाद आती है। सिर्फ समिति पर चयनित किसानों को ही खाद-बीज मिल रहा है। जो किसान समिति से नहीं जुड़े हैं, उनकी बाजार से खाद-बीज खरीदना मजबूरी है। दुद्धी क्षेत्र में आधा दर्जन समितियां हैं, यहां खाद आई लेकिन कुछ लोगों को ही मिला, किसान समितियों का चक्कर लगाकर वापस चले जा रहे हैं, खाद-बीज की समस्या पर किसानोें से बात करने पर उनका दर्द झलकने लगा। एक सवाल पर ही कई समस्या गिना गए, बताया कि प्रशासन का भी सहयोग नहीं मिल रहा है, दस बोरी खाद की जगह एक बारी मिल रही है। नहर भी चालू नहीं की गई है, किसानों को सुविधाएं नहीं मिलने से परेशान हैं, जरूरत भर की खाद और पानी ही नहीं मिल रहा है, जब जरूरत होती है तब खाद नहीं मिलती है, समिति केवल दिखाने के लिए बनी है। नहर में पानी नहीं आने से नर्सरी सूख रही है। विभाग की मनमानी भी किसानों पर भारी पड़ती है, अधिकारी समय से खाद-बीज की व्यवस्था नहीं कर पाते। बाजार के बीज में मिलावट की संभावना बनी रहती है, कुछ बीजों में कलर डालकर उसकी किस्म बदल दी जा रही है। बीज केंद्रों पर पर्याप्त बीज नहीं है, इसके साथ ही जो किस्म किसानों को चाहिए वह नहीं मिल पा रहा।
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