शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

खतरनाक साबित हो रहे ऊर्जांचल के कबाड़चोर


ऊर्जांचल में कबाड़चोरी एक संगठित अपराध का रूप लेता जा रहा है। कबाड़ चोरों का दहशत इतना अधिक है कि एनसीएल की सुरक्षा का बागडोर देख रहे पूर्व सैनिक भी उनके आतंक से भयभीत हो चले हैं। अभी कुछ माह पूर्व बीना और उसके बाद एनसीएल ककरी में कबाड़ चोरों ने सुरक्षा गार्डों को लहूलुहान करते हुए उनसे बंदूकें भी छीन ली थी। जिसका आज तक सुराग नहीं लग सका है। एक वर्ष पूर्व एनटीपीसी रिहंद में कबाड़ चोरों का पीछा कर रहे सीआईएसएफ के एक उपनिरीक्षक एसपी सिंह को चोरों ने अपनी गाड़ी से रौंद दिया था। यहीं नहीं दो वर्ष पूर्व खड़िया परियोजना में एक गनमैन को कबाड़ चोरों ने मौत के घाट उतार दिया था। कोयला से लेकर तमाम कीमती सामानों और डीजल को चट कर जाना इनके चुटकी का खेल है। स्थानीय लोग नक्सलियों के खौंफ से उतने भयाक्रांत नहीं है जितने कि कबाड़ चोरों के आतंक से। पत्थरबाजी करते हुए परियोजनाओं में घुसना तथा अपने मंसूबों में काययाब होकर वापिस लौटना इनकी आदत में शुमार हो गया है।

कबाड़चोरी से सबसे अधिक नुकसान एनसीएल परियोजना को हो रहा है। इसमें लगी अनेक कीमती समानों को दर्जनों की संख्या में हल्लाबोल कर कबाड़चोर बेच देते है। बाद में चोरी के इन सामानों को एनसीएल सहित तमाम परियोजनाओं में इनसे जुड़े सफेद पोश लोग घपाकर इसके एवज में बड़ी रकम प्राप्त कर लेते है। कहने का आशय है कि चोरी की सामानों का बाजार भी कबाड़ से जुड़े लोगों को यहीं मिल जाता है। परियोजना प्रबंधन इस बावत कुछ भी कहने से परहेज की स्थिति में खड़ा रहता है। ऊर्जांचल के लोगों ने सीबीआई सहित अन्य केन्द्रीय जांच एजेंसियों से यहां धड़ल्ले से चल रहे करोड़ों के अवैध करोबार को उजागर करने के लिए जांच की गुहार भी लगाई है।

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