ऽ पेयजल के लिए 3.5 करोड़ रुपये की है जरूरत।
ऽ अहम मुद्दा पीपी एक्ट का बना हुआ है।
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ऊर्जांचल का गौरव यानी पिपरी नगर पंचायत जिले और प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। ऊर्जांचल की जननी रिहंद बांध भी यहीं बना हुआ है। इसके बाद भी पूरे नगर पंचायत में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। यहां सबसे बड़ी समस्या पेयजल की दिखती है। सड़कें तो हैं ही नहीं, अहम मुद्दा पीपी एक्ट का बना हुआ है, जो यहां के रहवासियों के लिए गले का फंदा बना हुआ है। करीब तीस हजार की आबादी वाले नगर पंचायत में कुल 11 हजार मतदाता हैं। इस नगर पंचायत में विश्व का सबसे बड़ा कृत्रिम सागर पंडित गोविंद बल्लभ पंत सागर स्थापित है। इसके बाद भी यहां के रहवासियों को पेयजल के लिए किल्लत उठानी पड़ती है।
नगर में पांच करोड़ की लागत से अजगरी मुंह वाली पेयजल योजना आरओ सिस्टम बन कर तैयार तो हो गया, परंतु हस्तांतरण विवाद एवं संचालन को लेकर जल निगम एवं नगर पंचायत में खींचा-तानी लगी हुई है। आरओ सिस्टम बिना चलाए ही लाखों का बिजली बिल बकाया विभाग द्वारा भेज दिया गया है। वहीं पूरे नगर में सड़कों का हाल खस्ताहाल है। गड्ढायुक्त सड़कें स्वयं नगर की दुर्व्यवस्था को बयंा कर रही हैं। नगर के कई वार्डो में सड़क, नाली एवं स्ट्रीट लाइटें अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही हैं। सिंचाई विभाग ने अब तक नगर के 15 सौ लोगों के ऊपर पीपी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर रखा है। इससे निजात दिला कर यहां के रहवासियों को मौमिक अधिकार दिलाना भी सबसे बड़ी समस्या है। वहीं नगर में सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। आलम यह है कि सड़कों पर जगह जगह कूड़ों का अंबार लगा हुआ है। पेयजल, स्ट्रीट लाईट, सड़क, नाली, सफाई आदि यहां की मुख्य समस्या मुंह बाए नगर प्रशासन का बाट जोह रही हैं।
नगर के विकास के संदर्भ में नव निर्वाचित अध्यक्ष सावित्री सिंह का कहना है कि पीपी एक्ट राज्य सरकार के अधीन का मामला है। यहां के रहवासियों को इससे निजात दिलाने के लिए पूर्व में भी काफी प्रयास किए गए हैं, बस उसी को आगे बढ़ाना है। यहां के लोगों को पीपी एक्ट से निजात दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करूंगी। इसी क्रम में श्रीमती सिंह ने कहा कि नगर की जर्जर सड़कें तीन माह के अंदर बननी शुरू हो जाएंगी। पेयजल योजना को पूर्ण रुप से संचालित करने में 3.5 करोड़ की और आवश्यकता है। इसके लिए शासन को अवगत करा कर विकास कार्य किया जाएगा। इसके साथ ही साथ पेयजल संचालन करने के लिए कर्मचारियों की जरूरत है, क्योंकि पूरे नगर में अभी पाइप लाइन नहीं बिछ पाई है। ऐसे में पुरानी व्यवस्था को नयी परियोजना को जोड़ कर उन्हीं कर्मचारियों से आरओ प्लांट का संचालन कराने का प्रयास किया जाएगा। सभासदों के सहयोग से सफाई का कार्य कराया जाएगा। जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त सफाई कर्मियों को भी लगाया जाएगा। बरसात में संक्रामक रोगों के पनपने का भय बना रहता है। ऐसे में नगर की जल्द से जल्द सफाई की जाएंगी। स्ट्रीट लाइट के लिए जलविद्युत निगम से सहयोग लेकर साडा के मार्फत स्ट्रीट लाइट लगाने का प्रयास किया जाएगा। मेरे ससुर स्वर्गीय काशीनाथ सिंह, जो नगर के पूर्व चेयरमैन रह चुके हैं उनके सपनों को साकार करूंगी।
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